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गुलज़ार साहब के अनमोल विचार केवल शब्द से ही नहीं सजे है बल्कि शब्द द्वारा भावना से सजे है उनके हर एक लिखी गयी शायरी हर किसी को खुश कर देते है क्योकि उसने सच्चाई और सादगी झलकती है। गुलज़ार द्वारा लोगो को दिखाए गए जीवन दर्शन लोगो के लिए उनकी सफलता की सीढ़ी थी।
गुलज़ार (संपूर्ण सिंह कालरा) का जन्म 18 अगस्त 1934 में हुआ। वह एक कवि, लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर है। उनकी आधुनिक रचना हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में है वैसे तो उनकी भाषा की रचना 3 – 4 भाषा में की गयी है लेकिन उनकी भाषा में सरलता के भीतर गहराई, और खामोशी के भीतर आवाज़ उनके अंदर की सबसे बड़ी कला है।
गुलज़ार जी के कोट्स हम सब के लिए बहुत ही प्रेणादयक है जो सीधा आपके दिल और दिमाग में उतर जायेंगे। इस पाठ में प्रेम, जीवन, रिश्ते, दर्द, यादें और समय के अर्थ को गुलज़ार साहब की भावना से समझ सके।
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प्रेम पर गुलज़ार के कोट्स
प्रेम के प्रति गुलजार जी के भाव बहुत ही नर्म, दिखावे के प्यार से दूर और एहसास से भरे भाव जुड़े है जो आपको प्रेम करने में मजबूर कर देगा।
प्यार में सबसे महँगी चीज़ वक़्त ही होता है। किसी के साथ बैठे हों और घड़ी देखनी ही न पड़े, वही सच्चा इश्क़ है। क्योंकि जो पल दिल से जिए जाते हैं, वो पूरी ज़िंदगी से भारी होते है।
हर रिश्ता बातों से नहीं चलता। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जहाँ चुपचाप बैठना ही सब कुछ कह देता है। बिना बोले समझ लेना और बिना कहे सुन लेना—यही प्यार की असली भाषा है।
शरीर की चाहत वक़्त के साथ बदल जाती है, मगर जो रिश्ता दिल और रूह से जुड़ता है, वो उम्र के हर पड़ाव पर वही अपनापन महसूस कराता है। चेहरे बदलते हैं, एहसास नही।
Download Imageमोहब्बत ऊँची बातों में नहीं छुपी होती, वो तो रोज़मर्रा की छोटी चीज़ों में बसती है। कभी चाय की पहली चुस्की में, कभी किसी पुराने पन्ने से गिरती याद में।
प्यार सिर्फ़ मिल जाने का नाम नहीं, कभी-कभी किसी के लौट आने की उम्मीद ही इश्क़ बन जाती है। वो इंतज़ार जो थकाता नहीं, बल्कि हर दिन को जीने की वजह दे देता है।
जीवन पर गुलज़ार के विचार
गुलजार जी के जीवन के प्रति विचार ये थे की जीवन बहुत ही अनमोल है जीवन में स्वीकारती, धैर्य और प्रेम भावना होनी चाहिए क्योंकि इन सब से हमारा जीवन सफल होता हैं।
ज़िंदगी कोई नई कमीज़ नहीं है, पुरानी है और जगह-जगह से उधड़ी भी। रोज़ थोड़ा-सा सब्र लेकर जहाँ फटी हो, वहीं मुस्कान की सिलाई कर लो।
दिक्कतें सबके घर बरसती हैं, फर्क बस इतना है कि कोई भीगी दीवारों में भी चाय की भाप और अपनों की बातों से धूप निकाल लेता है।
बीता कल और आने वाला कल—दोनों का बोझ कंधों पर लाद रखा है। ज़रा नीचे रखो, रास्ता अपने आप हल्का लगने लगेगा।
Download Imageबड़ी खुशी के चक्कर में छोटी बातों को मत छोड़ो। अचानक मिला दोस्त, पहली बारिश की खुशबू—यही ज़िंदगी की असली कमाई है।
हर वक़्त भागते रहोगे तो खुद से छूट जाओगे। कभी रुकना, साँस लेना और खुद को महसूस करना भी मंज़िल ही है।
रिश्तों पर गुलज़ार की शायरी
रिश्तों पर गुलज़ार जी की शायरी बहुत ही मजबूत धागे की डोर से जोड़ी गयी है रिश्ते की पकड़ बहुत ही नाजुक होती है इसलिए हमे प्रेम की भावना से उसको मजबूत बनाना चाहिए।
आजकल लोग रिश्ते ऐसे छोड़ देते हैं जैसे कोई टूटी चीज़ हो। पर अपना रिश्ता मिट्टी के घड़े जैसा होता है, दरार आए तो फेंकते नहीं, थोड़ा हाथ फेरकर जोड़ लेते हैं।
ज़्यादातर रिश्ते बड़ी लड़ाइयों से नहीं, चुप्पी से बिगड़ते हैं। जो बात खटक रही हो, कह दो। दिल में दबाकर रखोगे तो वही बात धीरे-धीरे दूरी बना देगी।
Download Imageरिश्ता नाम से नहीं चलता, वक़्त से चलता है। जैसे पौधे को पानी चाहिए, वैसे ही अपनों को आपका वक़्त चाहिए, वरना साथ रहकर भी सब सूखने लगता है।
हर पल साथ रहना ही प्यार नहीं होता। रिश्ते में थोड़ी जगह होनी चाहिए, ताकि दोनों अपनी-अपनी साँस ले सकें। बहुत ज़्यादा चिपकाव भी दम घोंट देता है।
रिश्ता निभाना है तो कभी झुकना पड़ेगा। हर बार सही साबित होने से बेहतर है, साथ बने रहना—वरना जीत आपकी होगी और अपना कोई हार जाएगा।
दर्द और तन्हाई पर गुलज़ार के कोट्स
दर्द और तन्हाई इंसान को अकेला कर देता है आपके दिल का दर्द आपको शायर बना देता है आपके दर्द के समय जब आपको कोई नहीं समझता तो आप शायर बन कर अपने दिल की बात शायरी में लिखते है दर्द और तन्हाई आपको लेखक बना देता है।
अकेलापन कोई सज़ा नहीं है। ये वो वक़्त है जब इंसान सबसे हटकर खुद के पास बैठता है। जो अपने साथ रहना सीख ले, उसे भीड़ भी खाली नहीं लगती।
हर दर्द आवाज़ नहीं करता। कुछ दर्द बस अंदर ही अंदर बैठ जाते हैं, जैसे ठंडी सुबह की धुंध। चुपचाप सह लो, वक़्त के साथ ये भी हल्के पड़ जाते हैं।
अकेले बैठो तो पुरानी बातें अपने आप सामने आ जाती हैं। अधूरी मुलाक़ातें, भूली हँसी—दर्द देती हैं, पर ये याद दिलाती हैं कि दिल अभी ज़िंदा है।
Download Imageरो लेना कमज़ोरी नहीं है। आँसू वो बातें होते हैं जो लफ़्ज़ नहीं बन पातीं। रोने के बाद मन हल्का हो जाता है, जैसे बरसात के बाद हवा।
कोई चला जाए तो खाली जगह रह जाती है। वो कुर्सी, वो कोना—सब याद दिलाते हैं। पर धीरे-धीरे समझ आता है, उस खालीपन को सहने के लिए खुद का होना ही काफ़ी है।
यादों और समय पर गुलज़ार के विचार
यादो और समय का आपस में कोई मेल नहीं है क्योकि बीते वक़्त की यादे आपको समय के साथ नहीं आती है जो इंसान आपके दिल के सबसे करीब हो और वह आपसे दूर चला जाये तो यादे और समय उसके काबू में नहीं होते।
वक़्त सब कुछ छान देता है। जो कड़वा था, वो नीचे रह जाता है और ऊपर बस वही बचता है जो दिल को प्यारा लगता है। आज का बुरा कल की मीठी याद बन ही जाता है, बस थोड़ा सब्र चाहिए।
यादें उस पुरानी पेटी जैसी होती हैं, जो कोने में रखी रहती है। रोज़ नहीं खोलते, पर खोलो तो बचपन, हँसी और अपने आप निकल आते हैं।
वक़्त को जितना कसकर पकड़ो, उतना ही फिसलता है। छोड़ दो ज़िद, बहने दो उसे। जो हाथ में रह जाए, वही असली ज़िंदगी है।
Download Imageयादें कभी पूछकर नहीं आतीं। शाम की हवा के साथ आ जाती हैं और मन को भर देती हैं। उन्हें भगाओ मत, वो बीते कल की निशानी हैं।
घड़ी देखते-देखते दिन निकल जाता है, पर ज़िंदगी उन पलों में होती है जब घड़ी देखना भूल जाएँ। जो अपनों के लिए थोड़ा वक़्त चुरा ले, वही असल में जी लेता है।
खामोशी और शब्दों की ताक़त
आपके शब्द आपकी खामोशी से बड़े होते है आपकी खामोसी के पीछे का दर्द कुछ कह नहीं पाते इसलिए शब्दो का सहारा लेकर खामोसी के पीछे का दर्द समझा जाता है।
कई बार जो बात ज़ुबान तक नहीं आती, वही सबसे भारी होती है। खामोशी खाली नहीं होती, उसमें बहुत कुछ भरा रहता है।
बोले गए शब्द या तो दिल पर निशान छोड़ते हैं या दर्द पर मरहम बनते हैं। बोलने से पहले इतना सोच लो—क्या कहना ज़रूरी है, या चुप रहना बेहतर?
हर चुप्पी नाराज़गी नहीं होती। कभी सामने वाला इतना अपना होता है कि बिना बोले ही सब समझ आ जाता है।
हर बात कहनी ज़रूरी नहीं होती। सही वक़्त पर कहा गया एक वाक्य, बेवक़्त की सौ बातों से ज़्यादा असर रखता है।
जब चारों तरफ़ शोर थम जाता है, तब इंसान खुद को सुन पाता है। जो अपनी खामोशी समझ ले, उसे किसी और की राय ज़्यादा नहीं चाहिए।









