50+ Kabir Das Dohe Quotes in Hindi (2026) | कबीर दास के दोहे व विचार

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Kabir Das Dohe Quotes in Hindi

राम राम भाइयों, एक बार फिर से आपका स्वागत है Kabir Das Dohe Quotes in Hindi के लेख पर।

कबीर दास के दोहे भक्ति, ज्ञान और जीवन की सच्चाई को बहुत सीधी भाषा में समझाते हैं। कबीर दास जी स्वभाव से बेहद सरल और साफ सोच वाले इंसान थे। वे 15वीं सदी के महान संत, कवि और समाज सुधारक थे, जिन्होंने लोगों को आडंबर से दूर रहने का रास्ता दिखाया।

कबीर दास जी की भक्ति निर्गुण ब्रह्म पर आधारित थी। उनका मानना था कि सच्ची भक्ति सिर्फ़ ईश्वर पर विश्वास रखने से होती है, न कि मूर्ति, व्रत या बाहरी दिखावे से। उनके अनुसार, भगवान बाहर नहीं बल्कि हमारे मन और आत्मा में बसते हैं, इसलिए भक्ति भी दिल से होनी चाहिए।

कबीर दास के दोहे जीवन की सच्चाई, आत्मज्ञान, प्रेम, भक्ति, अहंकार, माया और समाज में फैले पाखंड पर गहरी चोट करते हैं। इस लेख में हम उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे के माध्यम से उनके जीवन-दर्शन और सोच को समझने की कोशिश करेंगे।

कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे हिंदी में

निचे लिखे गए जितने भी दोहे है वह सब कबीर दास द्वारा लिखे गए है जो आपको बहुत प्रेरित करते है कबीर दास जी के डोज पढ़ने के लिए। कबीर दास जी के दोहे ज्ञान, अहंकार, भक्ति और ईश्वर पर निर्भर है।

1. गुरु और ज्ञान पर दोहे

कबीर दास जी के अनुसार गुरु ही जीवन का मार्ग दर्शन होता है गुरु द्वारा ही हमें सही ज्ञान का आभास होता हैं।

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय॥

आसान अर्थ:
अगर गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हों, तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए। क्योंकि भगवान का रास्ता हमें गुरु ने ही दिखाया है। बिना गुरु के, ईश्वर तक पहुँचना मुश्किल है।

कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर॥

आसान अर्थ:
कबीर कहते हैं कि असली ज्ञान इंसान को सबके लिए अच्छा सोचने वाला बना देता है। जो किसी से नफरत नहीं करता, न पक्षपात करता है, वही सच में ज्ञानी होता है।

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥

आसान अर्थ:
गुरु कुम्हार की तरह होता है और शिष्य मिट्टी के घड़े जैसा। गुरु शिष्य की गलतियों को सुधारने के लिए कभी सख़्ती करता है, लेकिन दिल से हमेशा उसे संभालकर रखता है।

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Kabir Das Dohe Quotes

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥

आसान अर्थ:
कबीर कहते हैं कि सिर्फ़ किताबें पढ़ लेने से कोई समझदार नहीं बनता। जो इंसान प्रेम, दया और इंसानियत को समझ ले, वही असली विद्वान होता है।

मैया मोहि गुरु मिला, ज्ञान का दीपक हाथ।
पाँच पचीसों बसि किये, जम का काटा पाथ॥

आसान अर्थ:
जब गुरु मिलता है, तो ज्ञान का दीपक जलता है। इससे मन की बुराइयाँ और गलत इच्छाएँ काबू में आ जाती हैं और इंसान सही रास्ते पर चलने लगता है।

2. अहंकार पर कबीर दास के दोहे

अहंकार पर कबीर दास के दोहे कहते है की अहंकार मनुष्या का सबसे बड़ा दुश्मन है अहंकार के कारण इंसान ईश्वर और सबसे रिश्तों से दूर हो जाता है।

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
सब अंधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माहिं॥

आसान अर्थ:
जब तक इंसान अपने ‘मैं’ में फँसा रहता है, तब तक उसे भगवान नहीं मिलते। जैसे ही अहंकार खत्म होता है, समझ आ जाती है और अज्ञान का अंधेरा खुद-ब-खुद दूर हो जाता है।

कबीर ऊँचा देखि के, काल न हँसिये कोय।
अबहूँ कें सिर ऊपारे, कबहूँ ऐसी होय॥

आसान अर्थ:
आज जो ऊपर है, कल नीचे भी आ सकता है। इसलिए अपनी हैसियत या पैसे के दम पर किसी को छोटा मत समझो। वक़्त किसी को भी बराबर कर देता है।

माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहि।
एक दिन ऐसा होयगा, मैं रौंदूँगी तोहि॥

आसान अर्थ:
मिट्टी कुम्हार को याद दिलाती है कि आज तू मुझे दबा रहा है, पर कल तू भी इसी मिट्टी में मिल जाएगा। यह दोहा इंसान को उसकी औकात और नश्वरता समझाता है।

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Kabir Das Dohe Quotes in Hindi with Meaning

कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूँढै बन माहिं।
ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखै नाहिं॥

आसान अर्थ:
इंसान भगवान को बाहर ढूँढता फिरता है, जबकि वह खुद उसके अंदर ही बसते हैं। जैसे हिरण अपनी नाभि की खुशबू को जंगल में खोजता रहता है।

फलकारै फल नम्र ह्वै, तजें न अपनी चाल।
अहंकारी तो गिरत है, जैसे फटे कराल॥

आसान अर्थ:
जो सच में बड़ा होता है, वही झुकना जानता है। घमंड इंसान को अंदर से खोखला कर देता है और अंत में गिरा ही देता है।

3. भक्ति और ईश्वर पर दोहे

भक्ति और ईश्वर पर कबीर दास कहते है की ईश्वर की भक्ति आपके मन की भक्ति है मूर्ति और व्रत मन के वहम माने गए है।

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर॥

आसान अर्थ:
सालों तक माला घुमाने से कुछ नहीं होता, अगर मन वही का वही रहे। कबीर कहते हैं कि पहले मन की गंदगी हटाओ, मन सुधरेगा तो भगवान खुद-ब-खुद पास लगेंगे।

मोको कहाँ ढूँढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना तीरथ में, ना मूरत में, ना एकांत निवास में॥

आसान अर्थ:
भगवान कहते हैं—मुझे बाहर मत ढूँढो। मैं मंदिर, तीर्थ या गुफा में नहीं, तुम्हारे दिल और सांसों में बसता हूँ।

जब लगि भक्ति सकाम है, तब लगि निष्फल सेव।
कहै कबीर वह क्यों मिले, निःकामी निज देव॥

आसान अर्थ:
अगर भक्ति किसी फायदे के लिए की जा रही है, तो उसका कोई मतलब नहीं। बिना चाहत और लालच के की गई भक्ति ही सच्ची होती है।

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कबीर यहु घर प्रेम का, खाला का घर नाहिं।
सीस उतारै हाथि करि, सो पैठे घर माहिं॥

आसान अर्थ:
भक्ति का रास्ता आसान नहीं है। यहाँ वही टिक पाता है जो अपना घमंड छोड़कर पूरे दिल से खुद को भगवान के हवाले कर दे।

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय॥

आसान अर्थ:
मुसीबत में तो सब भगवान को याद करते हैं, असली बात तब है जब सुख में भी उन्हें न भूलो। जो हर हाल में याद रखे, उसके जीवन में दुःख टिकता नहीं।

4. माया और संसार पर दोहे

माया और संसार इंसान की मोह माया है जिसका ललचा हर इंसान को होती है पूरा जीवन इंसान माया और संसार की उलझनों में उलझा रहता है।

माया महा ठगिनी हम जानी।
तिरगुण फाँस लिये कर डोलै, बोलै मधुरी बानी॥

लोकल अर्थ:
कबीर कहते हैं कि माया बहुत बड़ी ठग है। ये मीठी-मीठी बातों में फँसाकर इंसान को अपने जाल में बाँध लेती है। ऊपर से सब अच्छा दिखता है, लेकिन अंदर से आदमी खाली होता चला जाता है।

यह ऐसा संसार है, जैसा सेंबल फूल।
दिन दस के व्यवहार को, झूठे रंग न भूल॥

लोकल अर्थ:
यह दुनिया सेमल के फूल जैसी है—दिखने में खूब सुंदर, पर काम की नहीं। थोड़े दिनों की चमक-दमक में फँसकर अपने असली रास्ते को भूल जाना समझदारी नहीं है।

कबीर माया पापणी, हरि सूं करे हराम।
मुखि कस्तूरी महमही, कुबधि कुचाली काम॥

लोकल अर्थ:
माया इंसान को भगवान से दूर कर देती है। ऊपर से तो पैसे और सुख-सुविधाएँ बहुत मीठी लगती हैं, लेकिन यही चीज़ें धीरे-धीरे सोच को बिगाड़ देती हैं।

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Kabir Das Dohe Quotes in Hindi for Life

झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद।
खलक चबीना काल का, कुछ मुख में कुछ गोद॥

लोकल अर्थ:
इंसान थोड़े समय के सुख को ही सब कुछ मान लेता है। जबकि सच यह है कि यह जीवन पल भर का है। मौत सबको अपनी तरफ खींच रही है, बस किसी की बारी पहले आती है, किसी की बाद में।

माया मरी न मन मुआ, मरि-मरि गया सरीर।
आसा तृष्णा ना मरी, कहि गये दास कबीर॥

लोकल अर्थ:
शरीर तो एक दिन मिट्टी में मिल जाता है, लेकिन मन की चाह और लालच नहीं मरती। इंसान सारी ज़िंदगी इसी माया के पीछे भागता रहता है और चैन से जीना भूल जाता है।

5. प्रेम और मानवता पर दोहे

प्रेम और मानवता इंसान की कमजोरी और ताकत दोनों ही है कभी इंसान प्रेम के आगे कमजोर पड़ जाता है तो कभी प्रेम ही उनकी ताकत बन जाता है।

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥

लोकल अर्थ:
किताबें पढ़ते-पढ़ते लोग थक गए, पर समझदार वही बना जिसने प्यार करना सीख लिया। जो दिल से प्रेम को समझ ले, वही सच्चा विद्वान है।

सांई से लगन लगाये रख, चाहे जो कुछ भी होय।
घट-घट में वह रमता है, दूजा नाहीं कोय॥

लोकल अर्थ:
भगवान बाहर नहीं, हर इंसान के अंदर बसते हैं। इसलिए किसी को छोटा समझना या दुख देना, दरअसल भगवान को ही ठेस पहुँचाना है।

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होये॥

लोकल अर्थ:
ऐसी बात बोलो जिससे सामने वाले का दिल भी ठंडा पड़े और तुम्हारा मन भी हल्का हो जाए। कड़वे बोल किसी का भला नहीं करते।

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Kabir Das Dohe Quotes in Hindi 2026

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥

लोकल अर्थ:
इंसान की पहचान उसकी जाति से नहीं, उसकी समझ और काम से होती है। जैसे तलवार की क़ीमत धार की होती है, खोल की नहीं।

वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचै नीर।
परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥

लोकल अर्थ:
पेड़ अपने फल खुद नहीं खाता और नदी अपना पानी खुद नहीं पीती। अच्छे इंसान का जीवन भी दूसरों की मदद और भलाई के लिए होता है।

Anjali Negi

मेरा नाम अंजली नेगी है, और मैं ihindiquotes.com की संस्थापक और लेखक हूँ। मुझे हिंदी भाषा, शब्दों की खूबसूरती और दिल छू लेने वाले विचार लिखना बेहद पसंद है। इसी प्यार को आगे बढ़ाने के लिए मैंने यह वेबसाइट बनाई है, जहाँ मैं रोज़ाना नई–नई हिंदी कोट्स, शायरी, स्टेटस और मोटिवेशनल विचार साझा करती हूँ।मेरा उद्देश्य है कि हर किसी को यहाँ ऐसे शब्द मिलें जो उनके दिल को छुएँ, प्रेरणा दें और जीवन में सकारात्मकता भर दें। अगर आपको भी हिंदी कोट्स पसंद हैं, तो मेरी वेबसाइट पर आपका स्वागत है!

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