जय श्री राम, आप सबका Krishna Quotes के लेख पर स्वागत है।
भगवान श्रीकृष्ण जीवन का एक सार है और जिसने इनके सार को समझ लिया वो इंसान इस जीवन को अच्छे से समझ सकता है और उनके वचन सदियों से मानव जाति के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पूरी ज़िन्दगी में जीवन, कर्म, प्रेम, और भक्ति का अनमोल संदेश दिया है जो हर इंसान को उनके मार्ग पर ले जाने के लिए अच्छा सिद्ध साबित हुआ। इस लेख में हम Lord Krishna Quotes In Hindi के कुछ अनमोल वचनों के विस्तार को समझेंगे और जानेंगे कि कैसे इन वचनो को हम अपनी ज़िन्दगी में फॉलो करेंगे।
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Lord Krishna Quotes In Hindi :- जीवन में प्रेरणा और मार्गदर्शन
मन की चंचलता पर योग से काबू पाओ… लेकिन उससे पहले अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पाना जरूरी है।
जो बीत गया, उसे छोड़ दो। जो सामने है, उसका सामना करो। जो आने वाला है, उसकी फिक्र मत करो। बस इस पल को पूरी तरह जी लो।
कर्म करो, फल की अपेक्षा मत रखो… लेकिन कर्म ऐसा हो कि फल भी तुम्हारी राह देखे।
अहंकार आंखों पर पर्दा डाल देता है। जब तक “मैं” रहेगा, “वह” कभी नहीं आ पाएगा।
यह दुनिया एक युद्धभूमि है, और तुम्हारा धर्म ही तुम्हारा सारथी है।
मैं उसके दिल में निवास करता हूँ, जो मुझे बिना चाहे, सिर्फ भाव से याद करता है।

भक्ति इतनी गहरी हो कि “मैं” और “तू” का भेद ही मिट जाए।
राधा ने प्रेम से मुझे पाया, गोपियों ने अपनत्व से… तुम भी मुझे श्रद्धा से पा सकते हो।
प्रेम की डोर इतनी मजबूत होती है कि वह आकाश से भी ऊँचा उड़ान भरती है।
मैं भक्त के हृदय में ऐसे रहता हूँ जैसे बादलों में बिजली—दिखता नहीं, पर हर कोई उसकी मौजूदगी महसूस करता है।
माखन चोरी केवल एक बाललीला नहीं थी… वह संदेश था कि ईश्वर को पाने के लिए सरल, निष्कलुष भाव चाहिए।
मैंने मुरली बजाई तो गोपियाँ दौड़ीं… पर जो मुझे दिल से पुकारता है, मैं खुद उसके द्वार पर आता हूँ।

रासलीला कोई नृत्य नहीं था… वह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक था।
जब-जब धर्म की हार होगी, मैं किसी नए रूप में लौटूँगा… लेकिन तुम्हारे हृदय में आने के लिए तुम्हें पुकारना होगा।
मैं बालक हूँ, मित्र हूँ, प्रेमी हूँ… तुम जैसे चाहो, मुझे वैसे पा सकते हो।
अर्जुन, युद्ध सिर्फ बहाना है… असली युद्ध तो तुम्हारे भीतर चल रहा है—संदेहों के खिलाफ।
सत्य के पथ पर चलना आसान नहीं… लेकिन वही मार्ग सच्चे साहस का है।
डरपोक होना पाप से भी बड़ा पाप है… क्योंकि यह तुम्हारी आत्मा को ही मार देता है।

जब धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना पड़े, तो वह भी अहिंसा बन जाती है।
जो कर्तव्य से भागता है, वो जीवित होकर भी मृत है।
तुम मुझमें समाए हो, और मैं तुममें… यही अद्वैत की पराकाष्ठा है।
आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है… वह तो केवल मेरा ही अंश है।
मैं सूर्य की तरह हूँ… दूर से देखो तो साधारण लगूं, पास आओ तो समझो, मैं अनंत हूँ।
जब तक “मैं” की पहचान रहेगी, तब तक दूरी रहेगी… जैसे ही “तू” मिटा, दूरी भी मिट गई।

मोक्ष कोई स्थान नहीं… वह अनुभूति है, जो तुम्हारे भीतर है—सच्चिदानंद की।
राधा के बिना मेरी मुरली खामोश है… मैं भी अधूरा हूँ।
प्रेम वह सूत्र है, जो राधा-कृष्ण को एक आत्मा बना देता है।
राधा ने मुझे पाया नहीं, उन्होंने मुझे पूरी तरह जिया।
हर युग में राधा-कृष्ण जन्म लेते हैं… नाम और रूप बस बदल जाते हैं।
राधा मेरी शक्ति हैं, मैं उनका स्वामी… लेकिन प्रेम में न कोई बड़ा होता है, न छोटा।

जिसने “मैं” और “मेरा” त्याग दिया, वही मुझे पा सका।
तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म पर है… फल पर नहीं।
जो सुख-दुख को एक समान देखे, वही सच्चा योगी है।
केवल कर्म और कर्म से ही व्यक्ति महान बनता है।
मृत्यु से क्यों डरना? आत्मा तो अमर है।
भगवान पर विश्वास रखो, ऊपरवाला तुम्हें सही दिशा दिखाएगा।

हर व्यक्ति के अंदर भगवान विराजमान है।
अपनी मेहनत पर विश्वास रखो, भगवान तुम पर विश्वास रखेंगे।
प्रेम में अहंकार नहीं होना चाहिए, बल्कि दया और भक्ति होनी चाहिए।
जो अपने कर्मों से प्यार करता है, वह सबसे अधिक सफल होता है।
अगर मुझे पाना है, तो अपने मन को सरल करो… बच्चों जैसा निश्छल बनो।
ये संसार एक विशाल सागर है… और तुम्हारी भक्ति ही उसका पार उतरने का साधन।

मैं न्याय करता हूँ, लेकिन दया भी दिखाता हूँ… क्योंकि प्रेम मेरा स्वभाव है।
मन को शांत रखो, जीवन का हर पल मधुर हो जाएगा,
सत्य की राह पर चलो, सारा संसार तुम्हारा हो जाएगा।
जो मेरा नाम स्मरण करता है, उसके कर्म अपने आप पवित्र हो जाते हैं।
शक्ति चाहिए? मुझसे मांगो। विश्वास रखो, मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।
मेरी कृपा उन्हें मिलती है, जो निस्वार्थ होकर मुझे याद करते हैं।
मैं बालक बनकर माखन चुराता हूँ… ताकि तुम समझ सको, कि सरलता में ही ईश्वर बसता है।

गोवर्धन उठाना सिर्फ एक लीला नहीं थी… वह संकेत था कि मैं अपने भक्तों का भार स्वयं उठाता हूँ।
कालिया नाग का नृत्य यही कहता है—अहंकार को डुबा दो, जीवन झूम उठेगा।
सुदामा के चावल इसलिए खाए… क्योंकि प्रेम की थाली सोने से बढ़कर होती है।

हमे श्रीकृष्ण के वचन क्यों पढ़ने चाहिये?
अगर आप श्रीकृष्ण जी के जीवन के बारे में पढ़ेंगे तो आपको समझ में आएगा की, उनका जन्म काल कोठरी में हुवा, वो एक मध्य परिवार में पले बड़े, बचपन से ही उनके पीछे शत्रु लगे हुवे थे, उनका जीवन उतना आसान नहीं था जितना लोगो को लगता है। इन सब परिस्थिति के बावजूद उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया बल्कि दूसरों के प्रति प्रेम और दया का भाव रखा। भगवान श्रीकृष्ण जी ने सदैव दुसरो को मार्गदर्शन प्रदान प्रदान किया।
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण के प्रेरणादायक वचन
ये वचन जिसने अपने जीवन में अपना लिया, उसका जीवन सफल जा सकता है, बस शर्त ये है की, आपको इन वचनों को अपने जीवन में घोल कर पीना होगा।
1. कर्म योग के सिद्धांत
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म योग का महत्व बताया है। उनका कहना है कि आप जीवन में कर्म करते रहिये, लेकिन फल की चिंता किए बिना। इस तरह की विचारधारा आज के समय में रख पाना बहुत मुश्किल है, तो कोशिश करिये और जीवन में बदलाव देखिये।
2. जीवन और मृत्यु के बारे में विचार
श्रीकृष्ण जी के अनुसार, “आत्मा अमर है और मृत्यु दूसरा पड़ाव है।” इस विचारधारा का संदेश ये है कि :- हमें मृत्यु का डर नहीं रखना चाहिए क्योंकि मृत्यु आनी ही आनी है, तो सिलिये जीवन को मुक्त भावना से जीना चाहिए, मतलब जितनी जिंदगी है उसे हंस खेलकर एंजॉय करके जीनी चाहिये।
श्रीकृष्ण वचन और उनका अर्थ
1. “कर्म करो, फल की चिंता मत करो”
श्री कृष्ण जी के अनुसार इस वचन का अर्थ है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, बिना किसी चिंता के कि इसका परिणाम क्या होगा, बिना सोचे समझे कर्म करते रहना चाहिए। इससे जीवन में शांति प्राप्त होती है।
2. “प्रेम और भक्ति से सब कुछ संभव है”
भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम को हर स्थान से सबसे ऊपर रखा है। उनका मानना था कि सच्चे प्रेम और भक्ति से मनुष्य हर बाधा को पार कर सकता है।
जीवन के प्रति श्रीकृष्ण के दृष्टिकोण का महत्व
जीवन के प्रति भगवान श्रीकृष्ण का ये सोचना था कि, हमें अपने जीवन को आसान और सरल व्यतीत करना चाहिए, चाहे जीवन में कितनी भी परिस्थितियाँ क्यों ना आये, पर खुद को धैर्यवान रखना चाहिए। जिससे हम आंतरिक सुख की प्राप्ति कर सकते हैं। उनके विचार हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में कर्म करना हमारा धर्म है और अपने कर्मों का फल भगवान पर छोड़ देना चाहिए।
शांति और आंतरिक सुख का संदेश
भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार सच्ची शांति और सुख तभी प्राप्त होता है जब हम अपने मन को नियंत्रित करते हैं और ध्यान के माध्यम से ईश्वर से जुड़ते हैं। उनके वचनों का यह हिस्सा हमें आंतरिक शांति और सुख की ओर प्रेरित करता है।
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धैर्य और साहस का महत्व
श्री कृष्ण जी के अनुसार धैर्य और साहस का जीवन में बहुत महत्वपूर्ण महत्व है। धैर्य हमें कठिन समय में शांत रहना सीखता है, जबकि साहस उन परिस्थितियों का सामना करने में शक्ति देता है। आजकल के दौर में बहुत कम ऐसे लोग है जिनमे धैर्य होगा, भाग दौड़ की जिंदगी में सभी फसे पड़े है जिस करके सब में धैर्य छुप सा गया है। धैर्य एक ऐसा साधन से जिसे रखने से इंसान सही निर्णय लेने में सक्षम रहता है। यह एक ऐसा गुण है जो बड़ी से बड़ी समस्या आने पर भी समाधान की ओर ले जाता है।
FAQ
1. श्रीकृष्ण के वचनों का जीवन में क्या महत्व है?
श्रीकृष्ण का मानना था कि, जीवन में आप धैर्य रखें और अपने कर्म करने जाए वो भी बिना किसी लालच के और फिर देखते जाए की, आपका जीवन कैसे अच्छा जाता है।
2. भगवत गीता में श्रीकृष्ण के कौन-कौन से प्रमुख वचन हैं?
भगवत गीता में कर्मयोग, ज्ञान योग, और आत्मा की अमरता के बारे में कई महत्वपूर्ण वचन हैं।
3. क्या श्रीकृष्ण के वचनों का पालन आज के समय में किया जा सकता है?
जी हाँ, श्रीकृष्ण के वचनों का पालन आज के समय में किया जा सकता है।
4. भगवान श्रीकृष्ण का प्रमुख संदेश क्या है?
फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।