जय श्री राम, आप सबका Selfish Family Quotes के लेख पर स्वागत है।
किसी ने खूब कहा है, परिवार से बढ़कर कुछ नहीं होता और स्वार्थी परिवार से बढ़कर कोई नीच नहीं होता। परिवार का मतलब होता है, एक मुट्ठी में 5 उंगली का होना। समाज में परिवार को बहुत बड़ा दर्जा दिया गया है और सच्चे परिवार की प्राप्ति अगर किसी हो जाए तो उसका जीवन धन्य समझो। पर अगर परिवार में ख़टास आजाये या परिवार टूट जाए तो ये माहौल डिप्रेशन से कम नहीं है। दोस्तों इस लेख में हम Selfish Family Quotes In Hindi और उनके माध्यम से सीखने वाले संदेशों पर चर्चा करेंगे।
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Selfish Family Quotes in Hindi :- स्वार्थी परिवार के कोट्स
रिश्ते निभाने का ढोंग करने वाले अक्सर अपने ही स्वार्थ को पूरा करने के लिए पास आते है।
विश्वासघात से उबरना एक अकेली लड़ाई है, लेकिन वही रास्ता परिवार को फिर से जोड़ने का रास्ता भी बनाता है।
परिवार वही है जो आपकी मुश्किलों में आपके साथ खड़ा रहे, सिर्फ फायदा उठाने के लिए न आए।
स्वार्थी रिश्ते हमें मानसिक रूप से कमजोर करते हैं, उनसे दूर रहना ही बेहतर है।
जो लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए रिश्ता निभाते है, वे असल में परिवार नहीं होते।
अपना हित साधने के लिए पास आने वाले लोग, सच में आपके अपने नहीं होते।
रिश्तों में मिठास तब तक ही होती है जब तक स्वार्थ नहीं आ जाता।
परिवार में हुए धोखे का दर्द माफ़ी की रौशनी से ही कम हो सकता है।
जो लोग आपको तब याद करते हैं जब उन्हें आपकी जरूरत होती है, वो स्वार्थी होते हैं।
स्वार्थी परिवार में प्यार नहीं होता, बस एक जटिल लेन-देन चलता है।
जब रिश्ते सिर्फ फायदों तक सीमित हो जाएं, तो समझ जाओ, वह परिवार नहीं, एक व्यापार है।
स्वार्थी लोग खून के रिश्ते को भी मोल-भाव की चीज़ बना देते हैं।
कुछ के लिए परिवार वही होता है, जो उन्हें अपने फायदे का ज़रिया दिखे।

धोखे के बाद भी अगर रिश्तों में चाह हो, तो परिवार फिर से एक नयी शुरुआत कर सकता है।
जहाँ सब कुछ जलकर राख हो गया हो, वहीं से एक परिवार फिर से मजबूती से खड़ा हो सकता है।
धोखा परिवार को तोड़ता है, लेकिन माफ़ी उसे और मजबूत बना देती है।
जब परिवार पुराने गिले-शिकवे छोड़ देता है, तभी सच्चा इलाज शुरू होता है।
धोखे की परछाई में ही विश्वास की नयी किरण उगती है, अगर परिवार उसे अपनाए।
परिवार में सच्चा इलाज तभी होता है जब सब बदलाव को दिल से अपनाते हैं।
परिवार का विश्वास टूटना एक बड़ा घाव है, जिसे भरने के लिए हिम्मत चाहिए।
जब माफ़ी बहती है, तब रिश्तों के ज़ख्म धीरे-धीरे भरने लगते हैं।
परिवार में धोखे के बाद जब प्यार फिर से पनपता है, तब एहसास होता है कि रिश्ता कितना मजबूत था।

टूटा हुआ पारिवारिक रिश्ता भी वक़्त और दिल से की गई कोशिशों से फिर से जुड़ सकता है।
परिवार की शांति चुपचाप समझने की कला से ही जन्म लेती है।
एक परिवार की असली ताक़त उसकी आपसी समझ में छिपी होती है।
जहाँ समझ हो, वहाँ परिवार की नींव कभी नहीं डगमगाती।
जो लोग आपको सिर्फ अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं, उनसे दूर रहना ही सही है।
कभी-कभी शब्दों से नहीं, बल्कि समझदारी से रिश्ते गहराते हैं।
जहाँ दिलों में सहानुभूति और समझ हो, वहीं परिवार सच्चे अर्थों में फलते हैं।
अगर रास्ता भटक जाए तो भी, समझ ही वो दिशा है जो परिवार को सही राह दिखाती है।
परिवार बिखरे मोतियों की तरह होता है, जिसे समझ की डोरी ही फिर से जोड़ सकती है।

जब सोच अलग हो, तब भी समझदारी से वो दूरी मिटाई जा सकती है।
जहाँ सहानुभूति और समझ निरंतर हो, वहाँ परिवार हमेशा खिले रहते हैं।
एक परिवार की रूह तब गूंजती है जब उसमें समझ का संगीत बजता है।
जहाँ समझ हो, वहाँ परिवार मिलकर सफलता की कहानी लिखता है।
परिवार की खुशहाली बस इतनी सी बात पर टिकी है – समझदारी और अपनापन।
जब परिवार में खुदगर्जी आ जाए, तो भरोसे की डोरी सबसे पहले टूटती है।
जहाँ भरोसा कमज़ोर हो, वहाँ रिश्तों की सिलवटें साफ़ दिखती हैं।
सच्चा परिवार शक की दीवारों से नहीं, भरोसे के पुलों से बनता है।
ईमानदार रिश्ते किला बन जाते हैं, लेकिन झूठ उन्हें ताश के पत्तों सा गिरा देता है।

जब दिल और स्वार्थ की जंग हो, तो सबसे पहले भरोसा ही हारता है।
परिवार में भरोसे का पलड़ा हमेशा स्वार्थ से भारी होना चाहिए।
जब भरोसा सौदे में बदल जाए, तो मजबूत से मजबूत रिश्ता भी टूट जाता है।
परिवार में जब भरोसा चला जाए, तो शांति खुद दरवाज़ा बंद कर निकल जाती है।
रिश्ते लेन-देन नहीं होते, परिवार भरोसे पर जीता है।
बिना आवाज़ के रिश्तों को खत्म करने वाला ज़हर है – टूटता हुआ भरोसा।
अगर परिवार में भरोसा गहरा हो, तो स्वार्थ भी उसे हिला नहीं पाता।
रिश्तों का मतलब तब ही खत्म हो जाता है जब उनमें स्वार्थ आ जाए।
भरोसे को एक नाज़ुक पौधे की तरह सींचो, तभी रिश्तों में खुशबू आएगी।

जहाँ स्वार्थ होता है, वहाँ प्यार की कोई जगह नहीं होती।
परिवार का मतलब तब तक ही होता है जब तक उसमें निःस्वार्थता हो।
स्वार्थी लोग आपके सच्चे सुख में शामिल नहीं होते।
जो लोग अपने लाभ के लिए रिश्ते जोड़ते हैं, वे कभी अपने नहीं हो सकते।
स्वार्थी रिश्तों में कोई अपनापन नहीं होता।
जब फ़ैसले अपनों के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए लिए जाएँ, तो परिवार रास्ता भटक जाता है।
मतलबी मुस्कान के पीछे अक्सर एक चाल छुपी होती है।
जहाँ रिश्तों में एजेंडे होते हैं, वहाँ अपनापन नहीं, खेल चलता है।
जब स्वार्थ ‘परिवार के फ़र्ज़’ का मुखौटा पहन ले, तब असली भावना खो जाती है।
छुपे हुए इरादे रिश्तों की ज़मीन में दरारें डाल जाते हैं।
परिवार की शक्ल में जब खेल हों, तो चालें अपनापन खा जाती हैं।
सच्चे इरादे हमेशा धीरे से ज़ाहिर होते हैं, ऊँचे बोलों में नहीं।
जब हर दिल में छुपा स्वार्थ हो, तो परिवार की धड़कन धीमी पड़ जाती है।
स्वार्थ का ज़हर जब रिश्तों की जड़ में उतर जाए, तो पेड़ सिर्फ झगड़े उगाता है, प्यार नहीं।
छिपे एजेंडे वाला परिवार दिखता तो साथ है, पर खड़ा खोखले उसूलों पर होता है।

स्वार्थी रिश्तों के संकेत
1. रिश्तों में स्वार्थ की पहचान कैसे करें
स्वार्थी रिश्तों को पहचानना कोई आसान काम नहीं है, इंसान के 2 चेहरे होते है और वो चेहरे वक्त के साथ पता चलता है। हर रिश्ते की शुरुआत अच्छी होती है तो शुरू में सब अच्छे ही लगते है पर धीरे धीरे लोगों का असली चेहरा सामने आता है। वक्त के साथ सब पता चल जाता है।
2. जब परिवार अपने लाभ के लिए साथ हो
इसमें कोई दोराय नहीं है कि, हर रिश्ते में स्वार्थ छिपा होता है। कुछ परिवार के सदस्य होते तो साथ में है पर जरूरत के वक्त पीछे हट जाते है। अपने काम के वक्त यही सदस्य पता नहीं कैसे सामने आ जाते है और अपना काम करवा कर चले जाते है। ऐसे सदस्यों से सावधान रहे।
स्वार्थी परिवार के कारण और उसके परिणाम
1. परिवार में स्वार्थ के कारण
परिवार में स्वार्थ का कारण अपनी निजी इच्छाओं को पूरा करना, असुरक्षा महसूस करना ये 2 कारण हो सकते है। इस तरह की चीज़े बाद में परिवार के बीच दूरियाँ बढ़ा देती है।
2. स्वार्थी संबंधों का मानसिक प्रभाव
ऐसे रिश्ते हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिस वजह से दूसरे लोगो या परिवारों के सदस्यों पर भरोसा कर पाना नामुमकिन हो जाता है।
स्वार्थी रिश्तों से निपटने के तरीके
स्वार्थी संबंधों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम अपनी सीमाओं को स्पष्ट करें और सीधा ‘ना’ कहें। माना ये कह पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्युकी वो सदस्य आपके परिवार का है पर दोस्त, आत्मसम्मान भी कोई चीज़ होती है। जो सदस्य मौके पर आपके काम नहीं आया, आप भी उस वक्त काम पर ना आये। बाकी इंसान समझदार होता है, खुद समझ जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. स्वार्थी परिवार के कोट्स हमें क्या सिखाते हैं?
स्वार्थी परिवार के कोट्स हमें अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखना सिखाता है।
Q2. स्वार्थी रिश्तों को कैसे पहचाने?
जब कोई रिश्तेदार या परिवार का सदस्य हर बार आपकी ज़रूरत के वक्त काम ना आये तो समझ ले की, ये रिस्ता स्वार्थ या मतलब का है।
Q3. स्वार्थी रिश्तों से निपटने के क्या तरीके हैं?
स्वार्थी रिश्तों से निपटने के लिए सीधा ‘ना’ कहे।
Q4. क्या सभी परिवार के रिश्ते स्वार्थी होते हैं?
जी नहीं, हर रिश्ते स्वार्थी नहीं होते, कुछ निकल जाते है।
Q5. स्वार्थी परिवार के कोट्स का उपयोग कब करना चाहिए?
जब आप किसी स्वार्थी रिश्ते में फंसे हो, तब इन कोट्स का उपयोग कर सकते है।